HOW TO GET PVC AADHAR CARD FROM HOME / घर बैठे PVC आधार कार्ड कैसे मंगवाए..

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घर बैठे PVC आधार कार्ड कैसे मंगवाए--- नमस्कार दोस्तो, आज हम बात करेंगे PVC आधार कार्ड के बारे में । दोस्तो आप जानते है कि वर्तमान दौर फैशन का दौर है आजकल हम जो भी चीज प्रयोग करते है तो सोचते है कि वो ऐसी हो कि हर कोई उसकी तरफ आकर्षित हो चाहे वो हमारे कपड़े हो, हमारी घड़ी हो, हमारे जूते हो या कोई भी ऐसी चीज़ हो जो हमारे फैशन से सबंधित हो बस ऐसी होनी चाहिए कि जो देखे बस देखता ही रह जाएं ।       आजकल बैंको ने भी फैंसी डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड देना शुरू कर कर दिया है जो दिखने में आकर्षक दिखाई देते है हम भी अगर किसी के पास ऐसा कार्ड देखते है तो सोचते है कि हमारे पास भी ऐसा ही कार्ड होना चाहिए ।          ऐसी ही बात आधार कार्ड की है जब आधार कार्ड की शुरुवात हुई थी तो आधार कार्ड डाक द्वारा पेपर पर छपकर आता था जिसको ठीक रखने के लिए उस पर लैमिनेशन करवाना पड़ता था ताकि उसे सुरक्षित रख सके ।          आधार कार्ड भारत में अब एक जरूरी पहचान पत्र हो गया हमें अब कुछ भी काम करवाना हो सभी में आधार का...

भारत के गांव

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम सतीश है मै एक स्टूडेंट होने के साथ साथ प्राइवेट सेक्टर मे जॉब भी करता हूँ। वैसे तो मेरी पहचान बस इतनी सी है कि मै आप ही कि तरह एक आम इंसान हूँ जो अपने विचार आपके साथ सांझा करना चाहता है और आशा करता है कि आपको मेरा यहां लेख पसंद आएं। दोस्तों आप सभी जानते है कि हमारा भारत एक बहुत बड़ा देश है यह बहुत से छोटे बड़े नगरों, महानगरों, शहरो ओर गाँवो से मिलकर बना है हमारे देश में सभी नगरों व शहरों कि अपनी अपनी पहचान है। किसी कि कुछ विशेषता है तो किसी कि कुछ परन्तु हमारा असली भारत तो गाँवो में बस्ता है। भारत के गाँवो को उसका दिल कहा जाता है। हमारे देश में छोटे बड़े सभी गाँवो को मिलाकर कुल 640867 गांव है।


                      सायंकाल खेतो का नजारा


                मै भी इनमे से एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ, मेरे गांव का नाम लोहारी है जो भारत के हरियाणा प्रदेश के झज्जर जिले में स्थित है। यह झज्जर जिले का आखिरी गांव है इसके बाद गुरुगाम जिले कि सीमा शुरू हो जाती है। वैसे अगर उधर से आखिरी है तो इधर से जिले का पहला गांव भी है। झज्जर से पहले हमारा जिला रोहतक हुआ करता था। 1997 में झज्जर जिले कि स्थापना हुई ओर हमारा गांव झज्जर जिले में चला गया। झज्जर जिला होने के साथ साथ हमारे गांव कि तहसील भी है। राजनिति कि दृष्टि से हमारा गांव रोहतक लोकसभा क्षेत्र व बादली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वर्तमान में यहाँ कि आबादी लगभग 6000 के आस पास है। हमारा गांव एक ऐतिहासिक गांव है इसका इतिहास 800 साल पुराना है। इसके ऐतिहासिक होने का साक्ष्य इसके अंदर स्थित प्राचीन बावड़ी है जो जमीन के अंदर बड़े बड़े पत्थरो से बनी हुई है। इसकी शिल्प कला बहुत ही अद्धभूत है यह जमीन के अंदर गहराई में बनी हुई है जिसमे जाने के लिए पोड़िया बनी हुई है। मेरे दादाजी जो वर्तमान में गांव के दूसरे सबसे बुजुर्ग व्यक्ति है बताते है, कि पहले इसके अंदर एक कुआं भी था जिसकी वजह से यहां पानी से ऊपर तक भरी रहती थी। जो समय के साथ साथ सूख गया ओर फिर धीरे धीरे दब गया। इस बावड़ी के बारे में बहुत सी किविदंतिया(सुनी सुनाई कहानिया ) है। यह कब बनी कैसे बनी किसने बनवाई इसके बारे में सच्चाई कोई नहीं जानता इस विषय पर सभी के अपने अपने अलग मत है। कोई कहता है, यह एक रात में बनकर तैयार हुई थी। परन्तु इसके आकार और कलाकृति को देखकर इस बात पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल है कि इतनी बड़ी बावड़ी एक रात में बन सकती है। कहा से इतने बड़े पत्थर आये होंगे इतनी गहरी खुदाई उस समय पर जब तकनीक के कोई साधन नहीं थे एक रात में कैसे हुई होगी। 





                   ये सब सवाल ही है जिनका सही जवाब तो शायद किसी के पास नहीं। वही कुछ लोगो का मानना है कि बंजारा प्रजाति के लोगो ने इसका निर्माण किया परन्तु सच क्या है ये तो समय के गर्त में ही रह गया। शायद भविष्य में कुछ ऐसा प्रमाण मिले जिससे इसके विषय में जानकारी मिल सकें। यह हमारे गांव कि प्राचीन धरोहर हैं जिसका सभी ग्रामवासी अच्छे से ध्यान रखते है। वर्तमान मे हमारी ग्राम पंचायत ने अपनी योजनाओं में इसे भी स्थान देकर इस धरोहर का नवीनीकरण करवाया। इसकी अच्छे से सफाई कराई गयी। इसके चारो ओर बाउंड्री करवाकर लाइटें लगवाई गयी। इसको चारो तरफ से अच्छे अच्छे रंगो से डिज़ाइन किया गया है। इसके अंदर वर्षा के जल का भण्डारण करने कि बहुत ही अच्छी व्यवस्था कि गयी है। वर्षाऋतु के दिनों में जब यह पानी से भर जाती है तो इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। इस खंडहर में तब्दील होती प्राचीन बावड़ी को पुनः जीवित करने में ग्राम पंचायत के साथ साथ सभी ग्रामवासियो का योगदान भी सराहनीये है। बीते समय के गांव और आज के गाँवो में बहुत अंतर आ गया है। पहले कच्चे घर कच्ची सड़के मिट्टी के बर्तन घड़े का पानी ये सब गाँवो कि पहचान हुआ करते थे। आज के गाँवो का हर घर पक्का है हर गली हर सड़क पक्की है। मिट्टी के बर्तन व घड़े के पानी का स्थान स्टील व कांच के बर्तनो और फ्रीज ने ले लिया है। सभी गांव आधुनिक हो चुके है। पहले गांव कि ज़िन्दगी कठिन थी पर सब मिलजुल कर खुश रहते थे। मेरी दादी जी बताया करती थी कि पहले गाँवो में इतनी तकनीक नहीं थी ना तो बिजली थी और ना ही ट्रेक्टर मोटर कार थी। सभी काम बैलगाड़ी से होते थे। खेतो कि बुवाई जुताई सब हल के द्वारा होती थी। एक खेत कि बुवाई जुताई में कई कई दिन लगते थे। खेतो में सिचाई का कार्य रहट(कुए से पानी निकालने का यंत्र जोकि बैलो के द्वारा चलाया जाता था) के द्वारा किया जाता था। इसमें भी काफी समय लगता था। पहले समय और परिश्रम ज्यादा लगता था और आय कम थी। पहले आय का साधन केवल कृषि थी। सभी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर थे। जिनके पास भूमि ज्यादा थी वे लोग जमींदार कहलाते थे और जिनके पास भूमि कम थी या बिलकुल भी नहीं थी ऐसे लोग इन जमींदारो के यहाँ काम करके अपनी आजीविका चलाते थे। पहले काम के बदले में मिलने वाली मजदूरी आज के मुकाबले ना के बराबर थी। आज जो मजदूरी रूपए में सैकड़ो तक पहुंच गयी है वो उस समय में पैसो में मिला करती थी जिनसे कोई चीज़ खरीदना तो दूर कि बात थी दो वक़्त कि रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल से हो पाता था। कुल मिलाकर देखा जाये तो परेशानिया बहुत ज्यादा थी और आय के साधन कम। बारिश के समय में कच्चे मकान गिर जाते थे। सर्दी में कच्चे घरो में ठण्ड ज्यादा लगती थी परन्तु इन सबके बावजूद भी लोग खुश रहते थे। आपसी भाईचारा था सब एक दूसरे के सुख दुःख में साथ रहते थे। साथ मिलकर समस्याओं को सुलझाते थे छोटे बड़ो कि इज्जत करते थे। अब जैसे जैसे मशीनी युग आगे बढ़ रहा है इसके साथ साथ लोगो के अंदर से इंसानियत खत्म होती जा रही है। परन्तु मुझे इस बात कि खुशी होती है कि हमारे गांव के लोग अभी भी परम्पराओ और रीती रिवाजो को थामे हुए है। बावड़ी के अलावा दूसरी जो हमारे गांव की प्राचीन जगह है वो है बाबा सोगर जी का मंदिर। बाबा सोगर जी वर्षो पहले यहां हरिद्वार से आये थे। 

                               बाबा सोगर जी


                    गांव के लोग बताते है कि वो एक अलौकिक शक्ति थी जब से वो गांव में आये थे तभी से गांव में खुशहाली रहने लगी थी। गांव की हर समस्या का समाधान बाबा के पास होता था। बाबा ने अपने शरीर का त्याग जिन्दा समाधी लेकर किया था। बाबा तो चले गये परन्तु उनका आशीर्वाद और उनकी शक्ति आज भी लोगो के साथ है। जिस पेड़ के नीचे उन्होंने अपना धुना लगाया था वो वर्षो पुराना पेड़ आज भी मंदिर के अंदर वैसे का वैसा खड़ा है उसके नीचे बाबा का वही धुना उनका चिमटा उनकी चरण पादुका शंख आदि सभी चीज़े वैसी की वैसी रखी हुई है। बाबा के धुने की बभूति लोगो के लिए वरदान है। बाबा ने जहां समाधी ली थी वहां उनका समाधी मंदिर अलग बना हुआ है। बाबा के बाद जो भी संत मंदिर में आये उनमे से जिन्होंने बाबा कि दिल से भक्ति की उनको भी बाबा से आशीर्वाद के रूप में शक्तिया प्राप्त हुई। इस तरह उनका आशीर्वाद लगातार गांव के साथ रहा है। कहते है कि पहले जब बाढ़ आती थी उसे गांव में नदी बोलते थे कि नदी आ गयी तो बताते है कि बाबा कि कृपा से बाढ़ का पानी कभी भी गांव के अंदर नहीं घुसा ना ही कभी ओलावृष्टि हुई। सभी प्राकृतिक आपदाएं गांव से दूर ही रहती थी। बाबा के बाद जो उनके परम भक्त हुए उनमे छोटूगीरी जी, रामगिरि जी, हंसगिरि जी प्रमुख थे। इनकी समाधी भी बाबा कि समाधी के पास ही बनी हुई है। आज तक जिसने भी मंदिर में रहकर बाबा कि पूर्ण भक्ति कि उनको बाबा ने उनकी आयु पूर्ण होने तक अपनी भक्ति करने का आशीर्वाद दिया। इसके अलावा जिसने भी मंदिर में रहकर गलत कार्य किया वो भयानक बीमारी से पीड़ित होकर अकाल ही मृत्यु कि गोद में समा गए या बीच में ही मंदिर छोड़कर भाग गये। अच्छे संत जब तक थे तब तक गांव खुशहाल था। बीच में एक दो दुराचारी संतो कि वजह से गांव के हालात खराब हो गये। परन्तु लोगो का विश्वास आज भी बाबा पर है। जो लोग सच्चे मन से बाबा कि भक्ति करते है बाबा उनकी हर मनोकामना पूरी करते है। हर वर्ष भाद्रपद कि चौदश को बाबा का विशाल महोत्सव मनाया जाता है। लोगो के लिए वो एक त्योहार की तरह है। बाबा कि भव्य झांकी निकाली जाती है, विशाल जागरण होता है, विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। 

                 
बाबा का दरबार
  


                
                 इस मनोरम उत्सव में गांव के सभी लोग बढ़ चढ़कर योगदान देते है और इसमें चार चाँद लगा देते है। दूर दूर से लोग बाबा के दर्शन करने आते है। दो दिन तक गांव में बहुत ही सुंदर नजारा होता है। बाबा कि महिमा का ये तो सिर्फ एक छोटा सा सार है। अगर मै बाबा कि महिमा का सम्पूर्ण वर्णन करना चाहु तो मुझे बहुत लम्बा लेख लिखना पड़ेगा। ऐसी है बाबा कि महिमा बस बाबा कि कृपा ऐसे ही बनी रहे और बाबा का आशीर्वाद सदा हमारे और आपके साथ रहे। तो दोस्तों ये थी मेरे गांव और भारत के गांव की कहानी। ईश्वर से यही प्राथना है कि हमारे गाँवो को इसी तरह सुंदर और  खुशहाल रखे। और इतना योग्य बनाए कि देश के विकास मे योगदान दे सके। आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह लेख पसंद आया होगा। अब मिलेंगे एक  नई जानकारी और कहानी के साथ। इसी के साथ धन्यवाद  दोस्तो। खुश रहे! स्वस्थ रहे

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